हम सबसे पहले तो आपको ये बताते है कि आध्यात्मिकता (spirituality) होता क्या हैं.
एक जो देख रहा हैं और एक जो दिखा रहा हैं. दोनों में से ज्यादा पास कौन हैं, आपके? जो देख रहा हैं.
उसको जानने का नाम ही आध्यात्मिकता (spirituality) हैं.

जो दिख रहा हैं, वो बदलता रहता हैं. जैसे अभी आप हमारी साइट(Blog) देख रहे हो, फिर आप कुछ और देखोगे, जो भी अभी हैं वो बदलेगा ओर जो आगे होगा वो भी बदलेगा.

हम एक उद्धरण लेते हैं. We take a example :
अभी आप अपने हाथ को स्पर्श (Touch) करते हैं तो आपके भीतर (Inside) इन स्पर्श (Touch) को देख रहा हैं, फील(Feel) कर रहा हैं.
कोई हतो है जो सब फील करता हैं, फील करता है, देखता हैं वो ही आध्यात्मिकता (spirituality).
जो लोग दुसरो के बारे में अपना अनुमान लगते हैं वो अनुमान उस आदमी कि सोच (Thinking) पर निर्भर (Depend) करता हैं, उसके ज्ञान (Knowledge) पर निर्भर(Depend) करता हैं कि वो कितना जनता हैं.

आखरी में बस इतना ही जो देख रहा है और जो दिख रहा है उस देखने को ही आध्यात्मिकता (spirituality) बोलते हैं.

No one is perfect in this world just try to be perfect

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Last Update: March 17, 2019

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